भगवान हमें वही देते हैं जो हमारे लिए सर्वोत्तम होता है

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्धजी ने २० अक्तूबर २००५ के पितृवचनम् में ‘भगवान हमें वही देते हैं जो हमारे लिए सर्वोत्तम होता है’ इस बारे में बताया।

जब हम, आप कोई काम करने निकलते हैं, हम क्या करते हैं? आज कोई इन्सान को जाकर मिलना है, भगवान काम कर दे अच्छा होगा। भगवान की याद की, भगवान को प्रणाम किया। काम करके आए, भगवान से, दिल से प्रार्थना की, भगवान, आपने बात मान ली मेरी, सुन ली मेरी, मेरा काम हो गया; या गुस्सा आकर कहते हैं, भाई भगवान, क्या बात हो गयी, बात बिगड़ गयी, आप नहीं जानते हो और किसी जगह काम होना चाहिए। अब बात ऐसी है, चारों, तीन-चार जो क्रियायें इसमें हैं, वो एक बात क्या है कि जो मैंने डिसाईड किया है कि जो होना चाहिए, वो नहीं हुआ है। अगर मेरा भगवान पर पूरा भरोसा है, तो मुझे जानना चाहिए कि भाई, मैं भगवान से प्रार्थना करके सच्चे दिल से निकला हूँ। मैं चाहता था कि काम हो जाए, काम नहीं हुआ इसका मतलब है कि भगवान सोचता है कि आज काम नहीं होना है।

अगर भगवान चाहते हैं और वहाँ रजिस्टर हो जाए, तो मैं कल फिर ट्राय करूँगा। कोई प्रॉब्लेम नहीं, मैं कोशिश तो करता रहूँगा। भगवान जब चाहें, फल दे दें। लेकिन नहीं, हमारे लिए भगवान की पहचान तब क्या होती है? एक जरूरत पूरी करनेवाला बस! देनेवाला देव होता है, जो देता है वही देव है। यानी भगवान की पहचान भी हमारे लिए क्या हो जाती है कि जो हमें चाहिए, जो मेरे मन में है, जैसा मेरे मन में है, जिस तरह से मेरा मन चाहता है, उस तरह से, मैं जो चाहता हूँ वो देनेवाला यही भगवान की पहचान बनती है मेरे लिए।

यानी जब भगवान की पहचान ही ग़लत है, तब भगवान आपको उचित कैसे देगा? आप भगवान से प्रार्थना कैसे कर सकोगे? तो पहले हमारे मन से निकाल देना चाहिए, भगवान मेरा नौकर नहीं है कि जो मैं चाहूँ, वही मुझे दे दे। मैं भगवान का स्वामी नहीं हूँ कि मैं ऑर्डर करूँ, भगवान मान ले। नहीं होगा, वो सारे विश्व का स्वामी है, वो सारे विश्व का स्वामी है और वो जानता है सबके लिए क्या उचित है और क्या अनुचित है और वो पूरा न्यायी है, वो बड़ा कृपालु है, वो मेरा रक्षणकर्ता है, वो मेरा पालक है, वो मेरा पालनहार है। ये दृढ़ विश्वास होना चाहिए और यही भगवान की मेरे लिए सच्ची पहचान होती है। जो मुझे चाहिए, जैसा चाहिए, जिस तरह से, जब चाहिए, तब देनेवाला, जैसे देनेवाला, उस तरह से देनेवाला, उसे भगवान नहीं कहते, ये जान लो भाई।

‘भगवान हमें वही देते हैं जो हमारे लिए सर्वोत्तम होता है’ इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।   

|| हरि: ॐ || ||श्रीराम || || अंबज्ञ ||

॥ नाथसंविध् ॥