पंचमुखहनुमत्कवचम् विवेचन – १८ (क्रैं अस्त्राय फट्) [Panchamukha-Hanumat-kavacham Explanation – 18 (Kraim Astraaya Phat) - Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १६ मार्च २०१७ के पितृवचनम् में ‘पंचमुखहनुमत्कवचम् विवेचन’ में ‘क्रैं अस्त्राय फट्’ इस बारे में बताया।

पंचमुखहनुमत्कवच  विवेचन – १८ (क्रैं अस्त्राय फट्) - अनिरुद्ध बापू  
म हमारे जीवन में खुद के जीवन में झाँककर देखेंगे तो हम लोग जान जाएंगे कि हमारे जीवन में हम लोग ने कितनी बार हम गुस्से के कारण कुछ गलत लफ्ज बोल देते हैं, गलत शब्द बोल देते हैं। लोगों के साथ हमारे सालों पुराने संबंध एक पल में हम बिना सोचे क्या कर देते हैं? काट देते हैं, तोड देते हैं, तोड मरोडकर कुचल देते हैं। सारा का सारा अच्छा प्रपंच चलता है, एक कोई आकर सहेली बोल देती है तेरे हसबंड को मैने यहां देखा। भाई देखा होगा किसी औरत के साथ, मतलब ये नहीं कि वो अफेअर ही कर रहा है।

लेकिन बस मन में वो संशय आ गया तो बाद में वैसा ही सब कुछ दिखने लगता है। मर्द भी आज कल वैसे ही हो गये हैं। नहीं तो इतने सारे डायवोर्स होते नहीं। पहले हम जब कॉलेज में वगैरा थे, उसके बाद भी जब हमारी शादी वगैरा हुई ८५ में, तब भी किसी के घर में डायवोर्स हुआ तो ये it used to be rare thing। ऐसा समझो कि लाखों में एक ऐसी चीज। आज कल तो एक एक बिल्डींग में दूसरे alternative घर में डायवोर्स चल रहा है और डायवोर्स नहीं चल रहा है तो कभी कभी घर में हसबंड वाईफ सिर्फ नाम के लिये हसबंड वाईफ हैं। डायवोर्स जैसा ही बर्ताव करते रहते हैं। ये नहीं होता।

माँ-बाप के साथ बच्चें नहीं रहना चाहते, बच्चों के साथ माँ बाप नहीं रहना चाहते। भाई भाई भाई बहने बहने बहने। आज कल दस दस साल एक दूसरे को मिलते भी नहीं। मुँह भी नहीं देखते। माँ बाप भी आज कल देखता हूं तो गलत behaviour करते हैं, गलत बर्ताव करते हैं, बच्चे भी गलत बर्ताव करते हैं। ये सचमुच कलियुग आ गया है। तो यहां हमे जानना चाहिये, ये जो हम हमारी जिंदगी में जो भी गलत कदम उठाते हैं, वही हमारा गलत अस्त्र होता है। so ये गलत अस्त्र भी जो हमसे निकलता है, वो भी निकलने के बाद तुरंत ही क्या हो, नष्ट हो जाये। इसकी योजना ये पंचमुखहनुमत्कवच करता है।

‘क्रैं अस्त्राय फट्’ इति दिग्बंधः। और यही दिग्बंध है इस कवच का। यानी आपको सही मायने में पवित्र सीमा डालनेवाला। आपको पवित्र सीमा के अंदर ही रखनेवाला। आप चाहे अगर समझो कि ये कैदखाना है, जेल है तो बात अलग है, लेकिन जो चाहता है, मेरे हाथ से कोई गलती ना हो, तो ‘क्रैं अस्त्राय फट् इति दिग्बंधः’ का उच्चारण बहुत आवश्यक है, इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

इस तरह ‘क्रैं अस्त्राय फट्’ इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में जो बताया, वह आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥

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