पंचमुखहनुमत्कवचम् विवेचन – १५ (संरक्षक कवच) Panchamukha-Hanumat-kavacham Explanation – 15 (protective shield) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १६ मार्च २०१७ के पितृवचनम् में ‘पंचमुखहनुमत्कवचम् विवेचन’ में ‘संरक्षक कवच’ के बारे में बताया।
परमात्मा का कौन सा भी अवतार क्यों न हो, माँ चण्डिका का भी कौन सा भी वरदान क्यों न हो, ये हर इन्सान तक पहुँचाने का कार्य कौन करता है? ये महाप्राण हनुमान करते हैं। इसलिये ये विराट हैं। और ऐसे विराट का ये पंचमुखहनुमत्कवच है।कवच यानी हमारा संरक्षण करनेवाला और सिर्फ संरक्षण करनेवाला नहीं, माँ के गर्भ में कैसा संरक्षण होता है, वैसा संरक्षण। सारी बुराइयों से संरक्षण। सारी प्रकार की बुराइयों से संरक्षण और सारा का सारा भरण पोषण। क्या, बच्चों को क्या करना पडता है? अंदर, साँस लेना पडता है? नहीं, खाना खाना पडता है? नहीं। पानी पीना पडता है? नहीं। उनको बचाना पडता है? नहीं। सब कुछ कौन केअर लेती है? माँ लेती है। वो जो है, वो कवच है। so गर्भाशय जो है माँ का, वो कवच है।
so हमे जानना चाहिये कि हम किसकी उपासना कर रहे हैं? पंचमुखविराट हनुमानजी की प्रार्थना कर रहे हैं। उनका कवच पाने के लिये, श्रेष्ठ से श्रेष्ठ वरदान पाने के लिये। इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥