नववर्ष की श्रद्धावान मित्रों को अनिरुद्ध शुभकामनाएं

ज बड़े अरसे बाद हम आपस में संवाद कर रहे हैं। पिछले कई दिनों से अपने ही दो प्रोजेक्ट्स में अर्थात जेरियाट्रिक इंस्टिट्यूट तथा श्री अनिरुद्ध धाम के कार्यों में व्यस्त था, तत्पश्चात हर वर्ष की भांति मैं बापूजी के साथ गाणगापुर गया था। 

आज नववर्ष की पूर्वसंध्या पर मैं आपको अर्थात बापूजी के सभी श्रद्धावान मित्रों को तथ उनके श्रद्धावान परिवारजनों को नववर्ष की अनिरुद्ध शुभकामनाएं देना चाहता हूँ। आनेवाला नया साल अम्बज्ञता के अर्थात आनंद के मार्ग पर जीवन यात्रा करनेवाला साबित हो यही बापूजी के चरणों में प्रार्थना करता हूँ। हम लोग प्रत्येक नववर्ष की शुरुआत उपासना से करते आ रहे हैं। मुझे यकीन है कि इस वर्ष भी बापूजी के सभी श्रद्धावनमित्र नववर्ष का स्वागत उपासना करते हुए आनंदोत्सव करेंगे। 

 १ जनवरी का दिन और एक कारण की वजह से हम सभी श्रद्धावानों के लिए महत्त्वपूर्ण है। हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी १ जनवरी को दैनिक प्रत्यक्ष का नववर्ष विशेषांक छपनेवाला है और पहले ही घोषित किए अनुसार इस वर्ष का विषय है 'सोशलमीडिया - परिपूर्ण व परिपक्व इस्तेमाल।' पिछले कई सालों से कम्प्यूटर्स तथा इंटरनेट का हमारे जीवन में महत्त्व सद्गुरु बापू हमें समझाते आए हैं। बिलकुल बैंक के व्यवहारों से शौपिंग तक, बच्चों की शिक्षा, उनका स्कूल-कॉलेज में दाखिले से नौकरी पाने तक, यात्रा की टिकट से लेकर सरकारी कार्य तक तथा प्रमुखता से ऑफिसस में तो बड़े पैमाने पर यह कम्प्यूटर्स एवं इंटरनेट का इस्तेमाल करना एक तरह से अधिकाधिक अनिवार्य होता चला जा रहा है। श्रद्धावान समय के साथ चलें यह विधायक हेतु तथा दृष्टिकोण सामने रखकर दैनिक प्रत्यक्ष का यह नववर्ष विशेषांक आ रहा है, क्योंकि कम्प्यूटर्स, इंटरनेट तथा सोशल मीडिया आनेवाले समय में केवल जरुरत ही नहीं बल्कि इसका एक अभिन्न अंग होगा। 

डिझास्टर मैनेजमेंट के सेमिनार में बापूजी ने कहा था, "आज इन्सान इन्सान से दूर जा रहा है यही एक बड़ा डिजास्टर है। हमारे इस दौर में इन्सान की भावनाओं की समीपता को संजोने के साथ साथ इन्सान की 'इन्सानियत' को बरक़रार रखना ही एक बड़ी चुनौती है।" श्रीसाईसच्चरित में माधवरावजी की कथा में साईनाथ रामदासी से कहते हैं -

जा बैस जाऊनी स्थानावरी l पोथ्या मिळतील पैशापासरी l माणूस मिळेना आकल्पवरी l विचार अंतरी राखावा ll११७ll

-    अध्याय २७

(जाओ जाकर अपने स्थान पर बैठो। पैसों से पोथियाँ तो मिल जाएंगीं। इन्सान का महत्व अधिक है। इस बात पर गौर करो।)

तथा इस चौपाई द्वारा साईनाथ हमें अपने जीवन में लोगों को जोड़े रखने के महत्त्व को रेखांकित करते हैं। आज के भागदौड़ वाले जीवन में यही कार्य शोशल मीडिया के माध्यम से होगा। इसी तरह १९वे अध्याय में एक साईभक्त की कथा आती है। इस कथा में वह भक्त अन्य लोगों की निंदा करते हुए दिखा। इस निंदा पर टीका करते हुए साईनाथ कहते हैं;

 “पहा त्या जिभेला काय गोडी l जनलोकांची विष्ठा चिवडी l बंधु-स्वजनावर चडफडी l यथेष्ट फेडी निज हौस ll२०५ll

बहुत सुकृताचिये जोडी lआला नरजन्म जो ऎसा दवडीl तया आत्मघ्‍ना ही शिरडी lसुखपरवडी काय दे ll२०६ll”

-      अध्याय १९

("देखो उस जबान को किस चीज का स्वाद अच्छा लगता है। लोगों की विष्ठा चबाते हुए, अपनों पर झल्लाकर मौज करती है। बहुतसारे अच्छे कर्म करने के पश्चात नरजन्म पाकर जो इस तरह से गँवा देगा उसे भला यह शिरडी कर भी क्या सकती है ?)

मैं तहेदिल से महसूस करता हूँ कि सबको सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए उपरोक्त दोनों बातों पर हमेशा गौर करना चाहिए। 

आज बिलकुल अभी मैं सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके रायगढ़ किले पर स्वच्छता सेवा के लिए गए हुए श्रद्धावान सेवकों से बातचीत की। सम्पूर्ण रायगढ़ जिले से ३५० से अधिक एएडीएम के डीएमवीज़, केंद्र के प्रमुखसेवक और स्थानिक कार्यकर्ते सेवक एवं मुम्बई से गए हुए एएडीएम के सेवकों से लगभग सवा घंटा बातचीत की। इस माध्यम की वजह से मेरी ऑफिस में बैठकर मैं उन से संपर्क कर पाया, बातचीत कर पाया, उन के कुछ संदेह दूर कर पाया। यह केवल सोशल मीडिया के 'विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग' से सम्भव हुआ। यह सोशल मीडिया की मित्रों तक परिणामकारक ढंग से पहुँचने की क्षमता है। 

बापूजी के सभी श्रद्धावान मित्र सोशलमीडिया का परिपूर्ण एवं परिपक्व इस्तेमाल कर पाएं इस इच्छा से पुन: एक बार सभी श्रद्धावानों को नूतन वर्ष की तहेदिल से शुभकामनाएं। 

हरि ॐ

श्रीराम

मैं अम्बज्ञ हूँ।

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