अपनी भक्ति की तुलना दूसरों से मत कीजिए (Never compare your Bhakti with others) - Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २२ अक्तूबर २०१५ के पितृवचनम् में ‘ अपनी भक्ति की तुलना दूसरों से मत कीजिए’ इस बारे में बताया।

Aniruddha Bapu told in his Potruvachanam dated 22 Oct 2015Never compare your Bhakti with others (अपनी भक्ति की तुलना दूसरों से मत कीजिए)
अपनी भक्ति की तुलना दूसरों से मत कीजिए -
Aniruddha Bapu
अनिरुद्ध बापू ने बताया कि हमारे पास तो सब कुछ है, हमारे पास पुरूषार्थ ग्रंथ है, मॉ का आख्यान है, मॉ का चरित्र है मातृवात्सल्यविंदानम्‌ के रूप में, मातृवात्सल्य उपनिषद के रुप मे हमारे पास क्या है? खबर है पूरी की पूरी कि मॉ का कार्य कैसे करती है, किस लिए करती है, क्यूं करती है, और वहॉ सिर्फ सुगति को ही सबकुछ नही मिलता, विगत, दुर्गति, अगति को भी सबकुछ मिलता है। और वो भी आसानी से मिलता है। खुद मॉ मैत्रेयी, जो नित्यगुरू याज्ञवल्क्यजी की पत्नी है वो लेके आती है विगत को। 
 
आगे अनिरुद्ध बापू ने कहा कि हमें जानना चाहिए अगर मै विगत भी हूं तो क्या प्रॉब्लेम है। हम कहते रहते हैं कि ये पाप किया, ये गलती की, ये नही किया, ऐसा करना चाहिए था, ऐसा नही किया। अरे हॉ भाई, इन्सान हूं, गलतीयॉ भी हो सकती हैं, पाप भी हो सकते हैं। क्या भगवान जानता नहीं? जब उसने हमें कर्मस्वातंत्र्य दिया था तब, जब हम हमारे छोटे बच्चों के हाथ में चीज देते हैं तो? हमें जानना चाहिए ना कि ये चीज बच्चों के हाथ में देना है या नहीं देना है। वही चीज हमे बच्चों के हाथ में देना चाहिए जिसके टूटने से, फुटने से बच्चे को कोई प्रॉब्लेम नहीं होनेवाला होगा, नुकसान नहीं होनेवाला होगा। तो ये मॉ क्या जानती नही, उसका बेटा जानता नहीं कि इन्सान को कर्मस्वातंत्र दिया है तो वो गलती कर सकता है। मॉ कुछ ऐसी बडी सत्ताधीश नहीं है या उसका बेटा कोई जेलर नही है कि नियम क्यूं बनाऊ, नियम का पालन ना करने के बाद उसे ताडन करने के लिए और ताडन के बाद उसको सजा देने और सजा से आनंद पाने के लिए। वो क्या सॆडिस्टिक है क्या? नहीं। दूसरों का दुख, दर्द देखकर उसे अच्छा नहीं लगता। ये ध्यान में रखना। 
 
इसिलिए ये जरूर ध्यान में रखना कि उस मॉ ने आदिमाता ने उसके पुत्र ने महाविष्णु ने हमें कर्मस्वातंत्र दिया है तो वे भली भॉति वो जानते हैं कि भाई ये इन्सान गलती कर सकता है। गलती सुधारने के लिए मार्ग देती है। हम लोग ये नहीं चाहते कि उसने दिये हुए मार्ग को अपनाये और उनको ही मानना छोड दे तो फिर उनके हाथ में कुछ नही रहता। तो जो है सब भुगतना ही पडेगा। लेकिन जब हम अगर उस मॉ की चरणों में शरण है, तब हमें उन पर भरोसा करना चाहिए। आप अपने तरीके से भक्ति करते रहिए।
 
अपनी भक्ति की तुलना दूसरों से मत कीजिए, इस मुद्दे के बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।  
 
 
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥

My Twitter Handle