मणिपुर चक्र और यज्ञपुरुष महाविष्णु

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २० अप्रैल २०१७ के प्रवचन में ‘मणिपुर चक्र और यज्ञपुरुष महाविष्णु (Manipur Chakra And Yagyapurusha Mahavishnu)’ इस बारे में बताया।  

so, स्वाधिष्ठानचक्र का बीज था ‘ॐ वं’, अभी हम लोग देखनेवाले हैं मणिपुर चक्र। स्वाधिष्ठानचक्र का बीज ‘वं’ ये बेसिक वरूण का है यानी वृष्टिदाता का हैं, राईट। अभी ये जो चक्र है मणिपुर चक्र, ये मणिपुर चक्र बहोत अजीब चक्र है, बहोत ही, every चक्र has it’s own speciality, हर चक्र की कुछ speciality है अपनी खास, डेफिनेटली।

लेकिन ये मणिपुर चक्र जो है ना, इसका स्वामी है, ‘यज्ञपुरुष’, यानी महाविष्णु। यानी महाविष्णु का भी स्फेसीफीक करके ‘श्रीराम’ अवतार, और ये जो मणिपुरनिवासिनी कौन हैं? माता का एक नाम मणिपुरनिवासिनी है ना, मणिद्विपनिवासीनी, मणिपूरनिवासीनी। ये जो मणिपूरचक्र है इसका स्वामी है ‘राम’, इसीलिये उसका बीज है ॐ रं। ‘रं’ ये रामजी का बीज हैं। उसके बारे में हम लोगोंने तो बहोत बार बात की हैं, कि ‘राम’ शब्द बनते कैसा है? तीन बीजों से बनता है र+आ, र+आ+म। तो ‘र’ ये क्या है?

मैंने बार बार बताया है प्रकाश बीज है, अग्नि बीज है, ये अग्नि बीज है। तो अग्नि कैसा? दाहक अग्नी नहीं, दाहक अग्नी नहीं तो ऋग्वेद में, ऋग्वेद जो हमारा आद्य वेद हैं इसकी शुरूआत ही होती हैं इन शब्दों से, अग्निमीळे पुरोहितं। अग्निं ईळे पुरोहितं, ये अग्नि ही हमारा पुरोहित है। पुरोहित या्नी पूजा बोलनेवाला नहीं, पूजा बतलानेवाला नहीं, तो पुरोहितं यानी हमारे आगे चलकर हमारा मार्गदर्शक बननेवाला, हमारा संरक्षक बननेवाला जो है, उसे पुरोहित कहते हैं, तो अग्निमीळे पुरोहितं।

सो, अग्नि नाम से ही हमारे वेदों की शुरूआत है और वेदो में देखा जा्ये तो अग्नि पर बहोत सारे सूक्त हैं। तो कौन सा अग्नि हैं? ये अग्नि है जो हमारे मणिपुरचक्र में रहता हैं।

‘आप कभी भी अकेले नहीं हैं, त्रिविक्रम आपके साथ है’ इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध  ने प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

ll हरि: ॐ ll ll श्रीराम ll ll अंबज्ञ ll