जीवन के अच्छे पलों को याद करना यह भी रिक्रिएशन है। (Remembering best moments of life is also a recreation) - Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १४ जनवरी २०१६ के पितृवचनम् में ‘जीवन के अच्छे पलों को याद करना यह भी रिक्रिएशन है’ इस बारे में बताया।

Aniruddha Bapu told in his Pitruvachanam dated 14 Jan 2016 about ’Remembering best moments of life is also a recreation’
जीवन के अच्छे पलों को याद करना
यह भी रिक्रिएशन है - Aniruddha Bapu

 

तो भगवान ने सपनें बनाये रात की नींद में और ये मेडिकल टर्म जान लीजिये कि आप लोग, कुछ लोग बोलते हैं कि मुझे सपना आता ही नहीं, अरे झूठ बोल रहे हैं। ऐसा हो ही नहीं सकता। सभी को सपने आते हैं, किसी को थोडे ज्यादा आयेंगे, किसीको कम, उतना ही, लेकिन ड्रीम्स, सपने तो आते रहेंगे, क्योंकि it is the essential part of the sleep. Sleep का जो science है, मेडिकल सायन्स हमारा, उसमें स्लीप के जो पार्ट्स बताये गये हैं, उसमें सपना ये आवश्यक भाग है। वो होता ही है।

ये भगवान ने बनाया इसलिये है कि आपका सोना भी कैसा हो, आपका विश्राम, आराम भी कैसा हो, तो मनोरंजनात्मक हो, अच्छा हो। लेकिन हमारे हमेशा सपने में भूत ही आते हैं, भगवान नहीं आते। और भगवान भी आते हैं तो डाटने के लिये आ जाते हैं। ये क्यों होता है? हम हमारा काम लगन के साथ नहीं करते, प्रेम के साथ नहीं करते। एक तो पैसा कमाने के लिये करते हैं, नहीं तो करना पड रहा है इसलिये करते हैं, नाईलाज से कर रहे हैं। तो विश्राम भी वैसा ही होगा ना। पूरा दिन हम लोग काम करते हैं, डर के मारे करते हैं। डरकर करते हैं, कहीं गलती ना हो जाए। अरे, क्या गलती गलती खाक लेके बैठे हो। पूरी जिंदगी ऐसे ही निकल जाती है। To err is human. इन्सान हो तो गलतियां तो जरुर होंगी ही। फिकर नहीं करो। गलती सुधारने का मौका भगवान हर एक को देता है।

किसी को इस रास्ते से मिलेगा, किसी को दूसरे रास्ते से मिलेगा। किसी को उसी दिन मिलेगा, किसी को दूसरे दिन मिलेगा, मिल जाएगा, देता है भगवान, definitely! इसलिये जान लो भाई, पूरे दिन जो काम करते हो, जो पढाई करते हो, जो पढते हो, अखबार पढते हो, टी.व्ही देखते हो, ट्रेन से आते जाते हो, कार से आते जाते हो, ऑफिस में काम करते हो, दुकान में काम करते हो, खेती में काम कर रहे हो, जहां भी आप काम कर रहे हो, जो भी काम कर रहे हो, आनंद के साथ करना।

कंटाला आ गया तो कुछ गाना सुनो, या भगवान का नाम लो। जिंदगी में कभी ना कभी तो अच्छे दिन थे, इसकी याद रखो पहले। और ऐसा ही लग रहा है, कुछ लोग तो बोलते हैं, नहीं बापू एक भी दिन नहीं गया सुख से। बाजू में husband बैठा हो, औरत बोलती है, इनके शादी के बाद तो एक पल भी नहीं गया आनंद से। जरुर 90% of the times तो ये शब्द आता ही है, जब गुस्से में होती है बीवी तब। और पति जो है वो वाईफ के पीछे बोलता है, क्या है, एक दिन भी नहीं गया। फिर भी सभी शादी तो करते हैं। इतना सब बोलने के बाद भी। क्योंकि प्रेम रहता है। सिर्फ एक पल का जो गुस्सा आता है, गुस्से में कुछ भी बकते रहते हैं, बकते रहते हैं। लेकिन यही बकते रहना अच्छा नहीं होता। कोयला कितना भी घिसो काला ही होता है ना! तो याद करो, जिंदगी मे जितने भी अच्छे पल थे, उनको याद करने की कोशिश करना यह भी रिक्रिएशन है।

‘जीवन के अच्छे पलों को याद करना यह भी रिक्रिएशन है’, इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥

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