जीवन में अनुशासन का महत्त्व - भाग ४

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्धजी ने ०७ अक्टूबर २०१० के पितृवचनम् में ‘जीवन में अनुशासन का महत्त्व’ इस बारे में बताया।

ये गुरु के जो चरण हैं, सद्‍गुरु के, इनको जब हम हमारे हृदय में, दिलो-दिमाग में बिठाते हैं, तो भी ये चरण अपने आप हमें डिसीप्लीन सिखाते हैं। तो ये भी हमें जानना हैं कि गुरु के चरणों से हमारी जिंदगी में डिसीप्लीन कैसे आती है।

यानी देखिये, ये गुरु के जो चरण होते हैं ना, सद्गुरु के चरण, उन में खासियत ये है कि ये सद्‍गुरु के चरण शिष्य चाहे या न चाहे, जो उसे सद्‍गुरु दिलो-दिमाख से एक बार मान लिया और मानता रहा तो सद्‍गुरु के चरण हमेशा उस अपने भक्त के, शिष्य के हर राह पर, हर राह पर, ‘जिस जिस पथ पर भक्त साई का, वहाँ खड़ा है साई। पथ बिसरे को राह दिखाता दयावान गुरु साई॥’ अरे, जिस पथ पर उसका भक्त है, चाहे वो कितना गंदा भी पथ क्यों ना हो, वहाँ वो सद्‍गुरु के चरण जाकर खड़े रहते हैं। आप अपना रास्ता भूले, भटके तो भी उस रास्ते पर जाकर भी, उसके चरण जाकर, उसे लेके जाकर खड़े करते हैं। ये रास्ता बहार का हो सचमुच का या रास्ता जीवन के कार्य का हो या मन का हो। मन के विचारों का हो या बुद्धि के प्लानिंग का हो, योजना का हो, युक्ति का हो, जुक्ति का हो, कौनसा भी रास्ता।

‘जिस जिस पथ पर भक्त हो साई का, वहाँ खड़ा है साई।’ चल रहा है, नहीं कहते। ये आरती किसने लिखी है आप जानते हैं?... हाँ, राईट। तो उन्होंने लिखी हुई हैं। ‘जिस जिस पथ पर भक्त साई का, वहाँ खड़ा है साई।’ खड़ा है, जिस पथ पर तुमने जाना शुरू कर दिया, उस पल से उस रास्ते पर कौन खड़ा है? तुम्हारा सद्‍गुरु खड़ा है। यानी सद्‍गुरु के चरण तुम्हारे आगे-आगे चलते रहते हैं। कभी-कभी आगे से चलके आते हैं, कभी सिर्फ़ पीछे से चलके आते हैं। जिस दिशा से आना आवश्यक है उसके लिए, तुम्हारे ही जिंदगी में उचित लाने के लिए, बेस्ट लाने के लिए, उस दिशा से वो चरण आते रहते हैं।

And that is The Discipline, The Discipline, I am using the word ‘The Discipline’. अद्वितीय, ‘The’ यानी अद्वितीयता राईट। That we say The Himalayas, He is only one, right! अद्वितीयता है, अद्वितीयता `The Himalaya'। वैसे ही क्या है? The, मैंने क्या कहा अभी? ‘The Discipline’, कौन लाता है ‘The Discipline’, श्रीगुरुचरण, सद्‍गुरु के चरण।

‘जीवन में अनुशासन का महत्त्व' के बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

ll हरि: ॐ ll ll श्रीराम ll ll अंबज्ञ ll