जीवन में अनुशासन का महत्त्व – भाग ३
सद्गुरु श्री अनिरुद्धजी ने ०७ अक्टूबर २०१० के पितृवचनम् में ‘जीवन में अनुशासन का महत्त्व’ इस बारे में बताया। सो अनुशासन जब माँ-बाप को होता है, तभी बच्चों में आता है। बोधवचनी बाबा बनने से कुछ नहीं होता है। बच्चों को बड़ा बड़ा उपदेश हम लोग करते हैं, भाई, अच्छा बर्ताव करो, ऐसा करो, वैसा करो, खुद कुछ नहीं करते। अगर मैं मेरे माँ-बाप की इज्जत नहीं कर रहा हूँ