अमरीका की अफगाणिस्तान से सेनावापसी की घोषणा और भारत

अफ़गानिस्तान में उद्देश्‍य पूरा होने का बयान करके अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ने किया सेना की वापसी का ऐलान

अमरीका की अफगाणिस्तान से सेनावापसी की घोषणा और भारत वॉशिंग्टन/काबुल – ‘अफ़गानिस्तान की एकजुट के लिए अमरीका ने अपने सैनिक इस देश में तैनात नहीं किए थे। ओसामा बिन लादेन को खत्म करना और अफ़गानिस्तान में स्थित आतंकियों के आश्रय स्थान नष्ट करना, इन दोनों उद्देश्‍यों के लिए अमरीका की सेना ने अफ़गानिस्तान में कदम रखा था। यह दोनों उद्देश्‍य प्राप्त करने में अमरीका कामयाब हुई है और अब अफ़गानिस्तान में युद्ध हमेशा के लिए खत्म करके अपने सैनिकों को घर वापिस बुलाने का अवसर है’, यह ऐलान अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने किया। साथ ही अफ़गानिस्तान में शांति स्थापित करने के लिए पाकिस्तान, रशिया, चीन, भारत और तुर्की को अधिक कोशिश करनी पड़ेगी, यह आवाहन भी राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने किया है।

वर्ष २००१ में हुए ९/११ के आतंकी हमले के बाद अमरीका ने अफ़गानिस्तान में युद्ध का ऐलान किया था। बीते बीस वर्षों में इस युद्ध के लिए अमरीका ने ट्रिलियन्स डॉलर्स खर्च किए हैं और इस दौरान २,४०० से अधिक अमरिकी सैनिक मारे गए हैं। 

आगे पढ़िये : http://worldwarthird.com/index.php/2021/04/15/us-declares-military-withdrawal-hindi/ अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष की तालिबान समेत पाकिस्तान को चेतावनी

अमरीका की अफगाणिस्तान से सेनावापसी की घोषणा और भारत काबूल – ११ सितंबर को अफगानिस्तान में तैनात अमरिकी सेना हटाई जाएगी, ऐसी घोषणा अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने की थी। लेकिन तालिबान के साथ किए समझौते के अनुसार, अमरीका ने अपनी सेना को १ मई तक वहाँ से हटाना अपेक्षित था। इस कारण अमरीका का फैसला समझौते का भंग करनेवाला है और उसके लिए अमरीका को ही ज़िम्मेदार ठहराया जाएगा, ऐसा तालिबान ने जताया है। तालिबान से ऐसी धमकियाँ आ रहीं हैं, ऐसे में अफगानिस्तान के राष्ट्राध्यक्ष अश्रफ गनी ने इस बात का यकीन दिलाया है कि अमरीका की सेना वापसी के बाद अफगानिस्तान की सरकार नहीं गिरेगी। उसी समय, अफगानिस्तान की सरकार और अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ सहयोग करना है या तालिबान और कट्टरपंथी संगठनों के समर्थन में खड़ा रहना है, इसका फैसला पाकिस्तान को करना है, ऐसा बताकर राष्ट्राध्यक्ष गनी ने अपने इस पड़ोसी देश को भी खरी खरी सुनाई है।

अमरीका और नाटो की सेना ११ सितंबर को अफगानिस्तान से पूरी तरह सेनावापसी करनेवाली है। अमरीका पर हुए ९/११ हमले के २०वें स्मृतिदिन के उपलक्ष्य में यह सेनावापसी की जाएगी। लेकिन तालिबान ने उसपर ऐतराज़ जताया है।

आगे पढ़िये : http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/afghanistan-president-warns-pakistan-including-taliban/ अफगानिस्तान को दोहरी शांति की आवश्यकता – विदेशमंत्री एस. जयशंकर

अमरीका की अफगाणिस्तान से सेनावापसी की घोषणा और भारत नई दिल्ली – ‘अफगानिस्तान में और अफगानिस्तान के आसपास शांति स्थापित हुए बगैर इस देश की समस्या नहीं सुलझेगी। अभी भी अफगानिस्तान में हजारों विदेशी खून-खराबा करा रहे हैं। उन्हें अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया में स्थान नहीं होना चाहिए’, ऐसा भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जताया है। नई दिल्ली में आयोजित ‘रायसेना डायलॉग’ इस सुरक्षाविषयक परिषद में अफगानिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हमदुल्ला मोहिब और ईरान के विदेश मंत्री जावेद झरिफ सहभागी हुए थे। उनसे संवाद करते समय विदेश मंत्री जयशंकर ने पाकिस्तान का ठेंठ नामोल्लेख टालकर, अफगानिस्तान की अस्थिरता के लिए पाकिस्तान ही ज़िम्मेदार होने का दोषारोपण किया।

अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बायडेन ने ११ सितंबर को अफगानिस्तान से पूरी सेनावापसी का ऐलान किया है। नाटो ने भी अफगानिस्तान में तैनात अपनी सेना को वापस बुलाने की घोषणा की है। उसके बाद अफगानिस्तान की सरकार और तालिबान के बीच घनघोर संघर्ष शुरू होगा, ऐसी चिंता अमरीका समेत अन्य देश ज़ाहिर कर रहे हैं।

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