‘अल्फा टू ओमेगा’ न्युजलेटर – फरवरी २०१९

Shree Aniruddha Upasana Foundation

'अल्फा टू ओमेगा' न्युजलेटर - हिन्दी संस्करण

 

फरवरी २०१९

संपादक की कलम से

हरि ॐ श्रद्धावान सिंह / वीरा,

सद्गुरु श्री अनिरुद्ध की कृपा से, हमारा यह वर्ष भक्तिभावच्चैतन्य और वर्धमान व्रतधीराज के आनंदमय वातावरण में आरम्भ हुआ। यह व्रत, सदगुरु के मार्गदर्शन के अनुसार मार्गशीर्ष में किया जाता है। श्रद्धावान बड़े ही प्रेम से इस व्रत का पालन करते हैं, जिससे हमारे जीवन में सकारात्मकता के साथ साथ सद्गुणों की वृद्धि भी होती है।

सन २००४ से, ग्रामीण समाज के ज़रूरतमन्द घटकों की सेवा करनेवाला, बहुत ही अनोखा ऐसा 'कोल्हापूर वैद्यकीय एवं आरोग्य शिविर', हर साल जनवरी में आयोजित किया जाता है।

- समीरसिंह दत्तोपाध्ये
 

Contents

  • संपादक की कलम से
  • कोल्हापुर मेडिकल और हेल्थ केअर कैंप:
  • अनिरुद्धाज़ ऐकेडमी ऑफ़ डिजास्टर मैनेजमेंट

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अल्फा टू ओमेगा न्युजलेटर – मासिक संस्करण

वर्ष ४ | अंक २ | फरवरी २०१९ | १

 

अल्फा टू ओमेगा न्युजलेटर – मासिक संस्करण


हर वर्ष, श्री अनिरुद्ध उपासना फाउंडेशन, 'दिलासा मेडिकल ट्रस्ट एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर', 'अनिरुद्धाज़ ऐकेडमी ऑफ़ डिजास्टर मैनेजमेंट' और इनसे संलग्न संस्थाएं' कोल्हापुर मेडिकल और हेल्थ केअर कैंप ' का आयोजन करती हैं।

कोल्हापुर मेडिकल और हेल्थ केअर कैंप समाज के पिछड़े वर्गों के लिए काम करने की एक पहल है। यह न केवल वैद्यक सम्बन्धी समस्याओं पर ध्यान देती हैं, बल्कि अन्य मौलिक मुद्दे, गलतफहमियां जिनसे अक्सर गंदे और बिगडते हालात की स्थिति उत्पन्न होती हैं, जिससे बीमारियां और अन्य ढेरसारी समस्याएँ खड़ी हो जाती हैं, उनका भी निवारण करता है।

कोल्हापुर मेडिकल ऐंड हेल्थ केअर कैंप, जो कि डॉक्टर अनिरुद्ध धैर्यधर जोशी द्वारा सूत्रबद्ध किया गया है, इस बात का एक उत्कृष्ट उदारहण है कि किस तरह विस्तृत पूर्वनियोजन और प्राप्त आंकडों के सही विश्लेषण से शानदार परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। सन २००४ में पहला KMHC शिविर ‘दिलासा मेडिकल ट्रस्ट एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर‘ द्वारा कोल्हापुर के दूर दराज़ इलाकों में रहनेवाले ग्रामवासियों की जीवन शैली पर किये गए गहन अध्ययन और केंद्रित की गई खोज के आधार पर नियोजित किया गया था। कोल्हापुर शहर में रहनेवाले संस्था के स्वयंसेवक बडी संख्या में उपस्थिथ थे, मुख्यरूप से उनकी वजह से इस अनुसंधान का कार्य आसानी से किया जा सका। इस अनुसंधान से, जो गाँव कोल्हापुर से महज ३५ किलोमीटर की दूरी पर हैं, उन ग्रामवासियों के रहनसहन के चौकानेवाले तथ्य सामने आए।


अल्फा टू ओमेगा न्युजलेटर – मासिक संस्करण

वर्ष ४ | अंक २ | फरवरी २०१९ | २

 

अल्फा टू ओमेगा न्युजलेटर – मासिक संस्करण


इस तथ्यान्वेषण के पश्चात इसका वैज्ञानिक कार्यान्वयन किया गया। इसके अनुसार ग्रामवासियों को स्वास्थ्य और स्वच्छता के परिपालन के लिए सामग्री और चप्पलें प्रदान की गईं जिसकी वजह से कैंप के लगभग आठ सालों में खुजली और एनीमिया (रक्ताल्पता) पूर्णरूप से समाप्त हो गए। इस कैंप की एक और महत्वपूर्ण उपलब्धि है ग्रामवासियों में सदियों से प्रचलित देवदासी की प्रथा को सुचारु रूप से खत्म किया जाना। दो वर्ष के भीतर, देखते ही देखते, जूंएं मारने की दवा और कंघी ने अपना काम कर दिखाया और वहाँ एक भी ऐसा मरीज नहीं रहा जहां महिलाओं के बालों में अब गांठे बन जाएं और उन्हें देवदासी की रूढ़ि प्रथा में धकेला जा सके। इस तरह से, लोगों के मन को ठेस पहुँचाये बगैर, एक इस पुरानी रूढि परंपरा को समाप्त कर दिया गया।

KMHC २०१९ शिविर का १६वाँ वर्ष था और फिरसे परिणाम वास्तव में बेहद प्रशंसनीय पाये गये।

इस वर्ष कैंप ३ दिनों के लिए आयोजित किया गया था - २६, २७ और २८ जनवरी २०१९।

कैंप की प्रमुख विशेषताएं:

● कैंप साइट 10 एकड़ में फैली थी।

● ३८० गांवों ने स्वास्थ्य चिकित्सा का लाभ उठाया और ९३ गांवों में पुराने कपडे, बर्तन और स्वास्थ्य संबंधी चीजें बांटी गईं।

● ८९५६ परिवारों ने उपरोक्त लाभ उठाया।

● १२८ विद्यालयों के ८९१४ छात्रों ने भी इस कैंप से लाभ उठाया, जिन्हें स्कूल की वर्दी, स्कूली सामग्री और पौष्टिक आहार प्रदान किया गया।

● विद्यार्थियों समेत कुल १५०५१ ग्रामवासियों ने इस नियमित स्वास्थ्य जांच का लाभ उठाया।

● इस वर्ष कैंप में १४५ डोक्टर, १०३ पैरामेडिक्स और ७६ ऑप्टोमेट्रिस्टों ने भाग लिया।

● कैंप द्वारा ऊनी वस्त्र, बालों की कंघी और जुंओं की कंघी, ग्लूकोस के पैकेट, सूखा मेवा, साबुन और बच्चों के लिए खिलौने जैसी दूसरी सहायकारी चीज़ें भी प्रदान की गईं।


अल्फा टू ओमेगा न्युजलेटर – मासिक संस्करण

वर्ष ४ | अंक २ | फरवरी २०१९ | ३

 
 

अल्फा टू ओमेगा न्युजलेटर – मासिक संस्करण


 

अनिरुद्धाज़ ऐकेडमी ऑफ़ डिजास्टर मैनेजमेंट के कार्यकलाप:

 
Sr. Event Date Location Participation & Details
१. ए.ए.डी.एम. बेसिक कोर्स और ट्रेनिंग ७-१-२०१९ से १३-१-२०१९ ए.ए.डी.एम्. ऑफिस ८ स्वयंसेवक प्रशिक्षित
७-१-२०१९ से १३-१-२०१९ निगडी उपासना केंद्र ३१ स्वयंसेवक प्रशिक्षित
१-२०१९ से २०-१-२०१९ वाशिंद उपासना केंद्र, शाहपुर २४ स्वयंसेवक प्रशिक्षित
२. एएडीएम कॉर्पोरेट कोर्स ७-०१-२०१९ इंडियन नेवी मटेरियल आर्गेनाईजेशन, घाटकोपर ३४ कर्मचारी प्रशिक्षित
३. ए.ए.डी.एम. सेवा (क्राउड कण्ट्रोल ) १-१-२०१९ श्री महालक्मी मंदिर ट्रस्ट, महालक्मी ९६ डिजास्टर मैनेजमेंट वालंटियर्स (डी.एम्.वी.) ने हिस्सा लिया
१-१-२०१९ श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर ट्रस्ट, प्रभादेवी १०१ डी.एम्.वी. ने हिस्सा लिया
१-१-२०१९ श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर,टिटवला १२४ डी.एम्.वी. ने हिस्सा लिया
६-१-२०१९ श्री अयप्पा आराधना वृंदा, भाईंदर (पूर्व) ६८ डी.एम्.वी. ने हिस्सा लिया
२० -१-२०१९ से २१-१-२०१९ मांढरादेवी यात्रा, वाई सतारा २४४ डी.एम्.वी. ने हिस्सा लिया
२१-१-२०१९ श्री चिंचबा देवी जात्रा ३९ डी.एम्.वी. ने हिस्सा लिया
२२ -१-२०१९ से २३-१-२०१९ श्री कंलिंगेश्वर देवस्थान , मुरबद ६४ डी.एम्.वी. ने हिस्सा लिया
४. एएडीएम वर्मीकल्चर वर्कशॉप १३-१-२०१९ वर्मध्वनि को-ओप हाटी, मुंबई २८ आम आदमी
५. ए.ए.डी.एम. परेड २६-१-२०१९ अनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम, अलितबधाम, नंदुरबार और गडहिंग्लज २२८ डी.एम्.वी. ने हिस्सा लिया
 

अल्फा टू ओमेगा न्युजलेटर – मासिक संस्करण

वर्ष ४ | अंक २ | जनवरी २०१९ | ४

 

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Actual Fire Rescue Experience

 

मैं सिद्धांतसिंह जयवंत, चेंबूर उपासना केंद्र। मैं FYJC सायन्स का छात्र हूं। प्रत्येक को जीवन में सद्गुरु की अनगिनत कृपा एवं लीलाओं का बार बार अनुभव होता है। कुछ ऐसा ही अनुभव मेरे जीवन में बापू ने नाथसंविध तरीके से घटाया है....

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हर शाम को 7 बजे मेरा ट्यूशन क्लास होता है इसलिए मैं उपासना केंद्र में नहीं जा पाता। पर 17 नवम्बर को सच्चिदानंद उत्सव के लिए बापू की पादुकाओं की बुकिंग का अंतिम दिन था इसलिए क्लास में न जाते हुए मुझे दादर में ऑप्टोमेट्री कोर्स के लिए पेशंट के तौर पर जाना था और फिर वहां से चेंबूर उपासना केंद्र में जाना था।

मैं तकरीबन शाम के 6 बजे घर से निकला और ट्रेन गोवंडी तक पहुंची थी कि मुझे कॉल आया कि ’ऑप्टोमेट्री कोर्स के लिए मत आना, यहां पर पर्याप्त पेशंट हैं।’ मैंने वह कॉल रखा और AADM परेड रेस्क्यू के मेरे एक अच्छे मित्र प्रतीकसिंह से फोन पर बातें करने लगा। इतने में ट्रेन चेंबूर स्टेशन पहुंची और मैं उपासना केंद्र पर जाने के लिए उतरा। तब भी मैं प्रतीक के साथ फोन पर था। और जब में ब्रिज की ओर जा रहा था तब मुझे ५००-७०० मीटर की दूरी पर रेलवे ट्रैक्स के पास आग दिखाई दी। मैंने प्रतीक से कहा तो उसे इस बात पर विश्वास ही नहीं हो रहा था। Shree Aniruddha Upasana Foundation

 

तब मैंने उसे विडियो कॉल लगाया और आग के दिशा में चलता रहा। ट्रैक पर चलते हुए उस स्थान तक पहुंचा तो वहां पर दो RPF के होमगार्ड और दो रेलवे के मजदूर थे, उन्होंने रेलवे के फायर ए़क्स्टिंगविशर (अग्नि रोधक) वहां लाए थे, पर इस्तेमाल नहीं किए थे।

बापूकृपा से मैंने AADM के फायर फाईटर कोर्स में फायर ए़क्स्टिंगविशर के इस्तेमाल का प्रशिक्षण लिया था। कॉल पर प्रतीक ने मुझसे कहा कि, "फायर ए़क्स्टिंगविशर का इस्तेमाल करने से पहले होम गार्ड ने फायर ब्रिगेड को कॉल किया है क्या, यह पूछो।" मैंने सोचा था कि उन्होंने कॉल किया होगा, पर पूछने पर पता चला कि उनके पास फायर ब्रीगेड का नंबर नहीं था इसलिए उन्होंने कॉल नहीं किया है। यह सुनकर मुझे अचरज हुआ, पर प्रतीक ने कहा अब ज्यादा मत सोचो, पहले फायर ब्रिगेड को फोन लगाओ। मेरे पास चेंबूर का AADM का रेस्क्यू प्लैन था जिसमें चेंबूर फायर ब्रिगेड का नंबर मेरे फोन में सेव किया हुआ था। मैंने कॉल लगाया और आग की स्थिति बताई। उन्होंने मुझसे दोबारा फोन करने को कहा और मेरा मोबाईल नंबर और लोकेशन पूछा और कहा कि अब हम वहां पर अग्निशामक दल को भेज रहे हैं जो 15-20 मिनट में घटना स्थल पर पहुंचेगा, तब तक आप वहां से कहीं जाना नहीं। फोन रखने के बाद जो दो फायर ए़क्स्टिंगविशर वहां पर लाए हुए थे वे ABC टाईप अर्थात, DCP नमक पाऊडर के थे। उनमें से एक फायर ए़क्स्टिंगविशर मैंने फोडा, परंतु आग इतनी बडी थी कि उससे यह आग न बुझती। इसलिए मैंने दूसरा फायर ए़क्स्टिंगविशर नहीं फोडा। तब तक होम गार्ड्स और रेल कर्मचारी तथा कुछ स्थानीय लोग बालटियां भर भर के पानी से आग बुझाने की कोशिश कर रहे थे। आग की लपटें कम होने लगीं पर गुजरती हुई ट्रेन की हवा से वह फिरसे भडक रही थीं। 18 मिनटों में फायर ब्रिगेड वहां पहुंची और उनके ऑफिसर ने मेरा नाम पुकारा और कहा, "अब आप जा सकते हैं, हम संभाल लेंगे।" फिर मैंने AADM के कार्यालय में आशुतोषसिंह टेंबे को सारी बात बताई और उपासना केंद्र में चला गया।


अल्फा टू ओमेगा न्युजलेटर – मासिक संस्करण

वर्ष ४ | अंक २ | जनवरी २०१९ | ५

 

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मैं केंद्र में 8 बजे पहुंचा। प्रतीकसिंह ने रेस्क्यू ग्रूप में आग के बारे में बताया था, इसलिए चेंबूर केंद्र के संपर्क सेवक किशोरसिंह सालुंखे को इस बात का पता था। फिर किशोरसिंह ने आग के बारे में मुझसे पूछा तो मैंने उन्हें भी सबकुछ बता दिया।

इस अनुभव से, बापू हमें उचित समय पर उचित स्थान पे कैसे भेजते हैं और AADM, Fire Fighter और Ham Radio इन सबका प्रशिक्षण देकर "उनका हथियार" कैसे बनाते हैं, यह ज्ञात हुआ।

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